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Special Article : महिला समूह की आय के साथ जैविक कृषि को मिल रहा बढ़ावा, गौमूत्र से बना रहे जैविक कीटनाशी ‘ब्रम्हास्त्र’ और वृद्धिवर्धक ‘जीवामृत’

रायगढ़, 23 जून। Special Article : राज्य शासन द्वारा जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिए गोठानों में गोबर के बाद गौमूत्र खरीदी भी की जा रही है। इससे बनने वाले वृद्धिवर्धक व कीटनाशी के लिए जिले के गोठानों में लगातार गौमूत्र खरीदी की जा रही है। जिसमें रायगढ़ जिला पूरे प्रदेश में शीर्ष स्थान में बना हुआ है। रायगढ़ जिले में अब तक 18 हजार 394 लीटर गौमूत्र खरीदी की जा चुकी है। इससे जैविक कीटनाशी ब्रह्मास्त्र और वृद्धिवर्धक जीवामृत तैयार किया जाता है।

कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा गोधन न्याय योजना के क्रियान्वयन की लगातार समीक्षा कर रहे हैं। जिसका परिणाम रहा कि गो मूत्र खरीदी में जिला पूरे प्रदेश में अव्वल है। इसके साथ ही उन्होंने पशुपालन विभाग को गौमूत्र की खरीदी बढ़ाने और इससे तैयार उत्पाद जैसे ब्रम्हास्त्र एवं जीवामृत के उपयोग को बढ़ावा देने के निर्देश दिए हैं। जिससे जिले में जैविक कृषि के क्षेत्र में विस्तार किया जा सके।

उल्लेखनीय हैं कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पहल पर प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए गौठानो में वर्मी कंपोस्ट निर्माण के साथ हरेली त्यौहार के दिन गौमूत्र खरीदी की शुरुआत की गई है। जिसके बाद से रायगढ़ जिले के गौठानो में महिला समूहों के माध्यम से गौ-मूत्र खरीदी की जा रही है। गौ मूत्र से कीटनाशी ब्रह्मास्त्र और वृद्धिवर्धक जीवामृत जैसे जैविक उत्पाद तैयार किया जा रहा है।

5 गौठानों में 18 हजार 394 लीटर गौमूत्र खरीदी

वर्तमान में जिले के 5 गौठानो में गोमूत्र खरीदी की जा रही है। इसमें रायगढ़ ब्लॉक के बनोरा गौठान, पुसौर के सूपा गौठान, लैलूंगा के रूडूकेला गौठान, धरमजयगढ़ के नवापारा (गड़ाईनबहरी), घरघोड़ा के बैहामुड़ा गौठान में गोमूत्र की खरीदी की जा रही है। जिसमें बनोरा में 6 हजार 245 लीटर, सूपा में 4 हजार 316 लीटर, रुडूकेला में 1 हजार 851 लीटर, नवापारा में 4 हजार 141 लीटर एवं बैहामुड़ा में 1 हजार 841 लीटर सहित जिले में कुल 18 हजार 394 लीटर गौमूत्र खरीदा गया है। इनसे कुल 6 हजार 666 लीटर जैविक कीटनाशी ब्रह्मास्त्र और 200 लीटर जैविक वृद्धिवर्धक जीवामृत बनाया गया है।

अतिरिक्त आय के साथ मिल रहा जैविक कृषि को बढ़ावा

शासन की इस योजना से किसानों को गोबर के बाद अब गौमूत्र से अतिरिक्त आमदनी अर्जित हो रही है। इससे न सिर्फ  किसानों को फायदा मिल रहा है, बल्कि जैविक कृषि के विकल्प के साथ जिले में जैविक कृषि का क्षेत्र विस्तार भी हो रहा है। यह रासायनिक कीटनाशकों की तरह शरीर के लिए हानिकारक नहीं है और न ही लगातार उपयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति को कमजोर करता है।

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