ढाका। बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण के मुद्दे पर हिंसक प्रदर्शन जारी है। छात्र बड़े स्तर पर देशभर में प्रदर्शन कर रहे हैं। सुरक्षा बलों, प्रदर्शनकारियों और सरकार के समर्थकों के बीच शुक्रवार को हिंसक झड़प हो गई। हिंसा में करीब 39 लोगों की मौत हो गई। गुरुवार को हिंसा चरम पर पहुंच गई थी।
राजधानी ढाका सहित अन्य शहरों में भीषण झड़प हुई। छात्रों ने देश भर में परिवहन नेटवर्क को बधित कर दिया। तमाम उथल-पुथल के कारण बांग्लादेश की संचार सेवाएं सबसे अधिक प्रभावित हुई। सरकार ने अशांति को रोकने के लिए इंटरनेट बंद कर दिया। सरकार ने फोन कनेक्टिविटी को भी सीमित कर दिया है।
प्रधानमंत्री शेख हसीना के चौथी बार फिर से निर्वाचित होने के बाद से ही अलग-अलग मुद्दों पर बांग्लादेश में प्रदर्शन चल रहे हैं। मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की तरफ से किए जा रहे इन प्रदर्शनों को बेरोजगार युवाओं का समर्थन मिल रहा है। बांग्लादेश की आबादी में पांचवां हिस्सा बेरोजगार या शिक्षा से वंचित है।
इस मामले में 7 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ सरकार की अपील पर सुनवाई होनी है, जिसमें कोटा बहाल करने का आदेश दिया गया था। हसीना ने छात्रों से फैसले तक धैर्य रखने को कहा है। एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसे अधिकार समूहों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका ने बांग्लादेश से शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को हिंसा से बचाने का आग्रह किया है।
बांग्लादेश सरकार ने 1971 में पाकिस्तान से आजादी की लड़ाई में लड़ने वाले लोगों के परिवारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 फीसदी का आरक्षण देने का फैसला किया। प्रदर्शनकारी चाहते हैं कि इस आरक्षण की व्यवस्था को खत्म किया जाए।
भारत ने बांग्लादेश में रहने वाले अपने नागरिकों को देश में हिंसक प्रदर्शन के चलते सावधानी बरतने की सलाह दी है। भारतीय उच्चायोग ने कहा, बांग्लादेश में भारतीय लोग अनावश्यक यात्रा से बचें और आवाजाही कम करें। भारतीय मिशन ने किसी भी सहायता के लिए कई आपातकालीन नंबर भी जारी किए हैं। उच्चायोग ने कहा, बांग्लादेश में मौजूदा हालात को देखते हुए भारतीय छात्रों को यात्रा से बचने की सलाह दी जाती है।