ढाका। बांग्लादेश में हिंसा भड़क गई है। आरक्षण के खिलाफ हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं। इनमें सबसे अधिक छात्र हैं। पुलिस और सुरक्षा अधिकारी प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी कर रहे हैं। अब तक करीब 100 लोगों की मौत हो गई है। हिंसा गुरुवार को चरम पर पहुंच गई थी। राजधानी ढाका के साथ-साथ अन्य शहरों में भी जमकर प्रदर्शन हुए। पुलिस ने हालात को काबू में करने के लिए कर्फ्यू लगा दिया। शनिवार को सुरक्षाबलों ने राजधानी के अधिकतर इलाकों में गश्त की। कड़े प्रतिबंधों के बावजूद विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
हिंसा की शुरुआत एक सप्ताह पहले हुई थीं। ढाका सहित अन्य शहरों में विश्वविद्यालयों और सड़कों पर पुलिस और छात्रों के बीच झड़प हुई। अधिकारियों ने मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया। बांग्लादेश की संचार सेवाएं बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं। कई टीवी चैनल भी हिंसा के कारण बंद हो गए हैं। अधिकांश बांग्लादेशी न्यूज वेबसाइट लोड नहीं हो पा रही हैं। हिंसा के कारण देश भर का परिवहन नेटवर्क भी ठप पड़ गया है।
हिंसा भड़कने का मुख्य कारण नौकरी में आरक्षण है। छात्रों की मांग है कि नौकरी पर आरक्षण लगाया जाए। दरअसल, बांग्लादेशी नियमों के मुताबिक, जिन परिवारों ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई की, उन परिवारों के लोगों को सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में 30 प्रतिशत का आरक्षण दिया जाएगा। विरोध के पीछे प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार की व्यवस्था भेदभाव को बढ़ाती है। बांग्लादेशी सर्वोच्च अदालत सात अगस्त को मामले की सुनवाई करेगा।
हिंसक प्रदर्शन के कारण बांग्लदेश में रह रहे 405 भारतीय छात्र वापस भारत लौट आए हैं। भारतीय उच्चायोग ने दो दिन पहले एक एडवाइजरी जारी की थी, जिसमें उन्होंने बांग्लादेश में रह रहे भारतीय समुदाय के लोगों और छात्रों से अपील की कि वे यात्रा करने से बचें और अपने परिसरों से बाहर न निकलें। बांग्लादेश में बसे लोगों के लिए उच्चायोग ने आपातकालीन नंबर भी जारी किए हुए हैं।