स्वास्थ्य संस्थाओं की सुरक्षा से जुड़े कानूनी प्रावधानों और धाराओं को सूचना पटल पर करना होगा प्रदर्शित
कलेक्टर श्री आशीष सिंह ने स्वास्थ्य संस्थाओं की सुरक्षा के संबंध में जारी किए आदेश
इंदौर। इंदौर जिले में कलेक्टर श्री आशीष सिंह द्वारा स्वास्थ्य संस्थानों की सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए दिशा-निर्देश जारी किए गए है। जिले के समस्त शासकीय चिकित्सालयों एवं पंजीकृत निजी चिकित्सालयों/मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ चिकित्सकों/अधिकारियों के साथ पिछले दिनों आयोजित की गई कार्यशाला में सुरक्षा व्यवस्था के संबंध में आये सुझाव के आधार पर उक्त दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
इस संबंध में कलेक्टर श्री आशीष सिंह द्वारा जारी आदेशानुसार सभी शासकीय/निजी चिकित्सालयों में सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्था करना होगी। अस्पताल के ब्लैक स्पॉट चिन्हित कर वहाँ पर रौशनी की व्यवस्था करना एवं सीसीटीवी कैमरों से सतत निगरानी अस्पताल प्रबंधन की जिम्मेदारी होगी। समस्त शासकीय एवं निजी स्वास्थ्य संस्थानों/मेडिकल कॉलेजों में सुरक्षा हेतु भारतीय न्याय संहिता 2023 (बी.एन.एस.) में मौजूद प्रावधानों/धाराओं के सम्बन्ध में जानकारी समस्त शासकीय एवं निजी स्वास्थ्य संस्थानों/मेडिकल कॉलेजों तथा इनसे जुड़े अस्पतालों में बड़े व पठनीय अक्षरों में प्रदर्शित करना होगी जिससे कि आमजन को कानून के अंतर्गत होने वाली कार्यवाही की जानकारी हो सके एवं आवश्यकता पड़ने पर चिकित्सा संस्थान भारतीय न्याय संहिता में मौजूद धारा अनुसार अपराधी पर क़ानूनी कार्यवाही कर सकें।
जारी आदेश में निर्देश दिए गए है कि समस्त शासकीय एवं निजी स्वास्थ्य संस्थानों/मेडिकल कॉलेजों के परिसर में सुरक्षा सम्बन्धी व्यवस्था हेतु कट्रोल रूम का प्रबंध किया जाये एवं उक्त कंट्रोल रूम में इमरजेंसी कॉल उपकरण (ICE) लगाया जाये जिससे किसी भी अप्रिय स्थिति से त्वरित निपटा जा सके। समस्त शासकीय एवं निजी स्वास्थ्य संस्थानों/मेडिकल कॉलेजों के परिसर में पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम को डेवलप किया जाये, जिससे की भीड़ को नियंत्रित किया जा सके। निर्देश दिए गए है कि सुरक्षा दृष्टि से पैनिक अलार्म सिस्टम भी डेवलप किया जाना सुनिश्चित किया जाए। समस्त अस्पतालों में आंतरिक सुरक्षा समिति का गठन किया जाये एवं प्रत्येक माह उक्त समिति की मीटिंग सुनिश्चित की जाये।
निर्देशित किया गया है कि अस्पताल के नजदीकी थाने से मीटिंग के सम्बन्ध में समय-समय पर समन्वय स्थापित किया जाये। नजदीकी थानों के ड्यूटी रोस्टर की प्रति नियमित रूप से संबंधित नजदीकी चिकित्सालयों को उपलब्ध करवाई जाये जिसकी जिम्मेदारी संबंधित थाना प्रभारी की होगी। समस्त अस्पतालों में सुरक्षा कर्मियों के रूप में सेना/पुलिस से सेवा निवृत अधिकारियों को सुरक्षा अधिकारी/कर्मचारी के रूप में नियुक्ति हेतु प्राथमिकता दी जाये। सुरक्षा कर्मियों का समय-समय पर प्रशिक्षण एवं पुलिस वेरिफिकेशन करवाया जाना अस्पताल प्रबंधन की जिम्मेदारी होगी। अस्पताल में नियुक्त सुरक्षा कर्मियों को बॉडी वार्न कैमरे उपलब्ध करवाए जाये जिससे किसी भी अप्रिय घटना की स्थिति में निष्पक्ष जाँच की जा सके। समस्त अस्पताल परिसर में सुरक्षा संबंधी मॉक ड्रिल पुलिस विभाग के साथ समन्वय स्थापित कर तत्काल रोस्टर बना कर की जाये। इसकी जवाबदारी संबंधित समस्त शासकीय एवं निजी स्वास्थ्य संस्थानों/मेडिकल कॉलेजों एवं थाना प्रभारी दोनों की होगी।
निर्देश दिए गए है कि समस्त शासकीय एवं निजी स्वास्थ्य संस्थानों/मेडिकल कॉलेजों में महिलाओं के लिए शौचालय ड्यूटी रूम में ही अटैच हो तथा शौचालय के बाहर व आस पास रोशनी की उचित व्यवस्था की जाये। समस्त शासकीय एवं निजी स्वास्थ्य संस्थानों/मेडिकल कॉलेजों में POSH ACT (Prevention of Sexual Harassment ACT 2013) के नियमानुसार समिति गठित की जाये। समय-समय पर उक्त अधिनियम में उलेखित प्रावधानों अनुसार समीक्षा बैठक की जाये एवं उक्त के अंतर्गत प्राप्त शिकायतों का निराकरण त्वरित रूप से किया जा कर उसे गोपनीय रखा जाना सुनिश्चित किया जाये।
समस्त निजी स्वास्थ्य संस्थानों/मेडिकल कॉलेजों को स्पष्ट रूप से आदेशित किया गया है कि मरीज की मृत्यु होने पर पार्थिव शरीर को अविलम्ब परिजनों को सौंपा जाये। इस सम्बन्ध में पूर्व में उच्च न्यायालय मध्यप्रदेश एवं राज्य शासन द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों का अनिवार्य रूप से पालन किया जाए जिससे की किसी भी प्रकार के विवाद की स्थिति उत्पन्न न हो।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को आदेशित किया गया है कि प्रत्येक तीन माह में अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था हेतु समन्वय बैठक का आयोजन किया जाये जिससे की सुरक्षा सम्बन्धी आवश्यक निर्णय समय-समय पर लिए जा सके। समस्त शासकीय एवं निजी स्वास्थ्य संस्थानों/मेडिकल कॉलेजों में रात्रि कालीन समय में मरीज के पास एक ही परिजन के रहने अनुमति होगी जिससे भीड़ की स्थिति उत्पन्न न हो। केवल बुजुर्ग/छोटे बच्चे के मरीज होने एवं महिला अटेंडर होने की स्थिति में ही 2 परिजनों को अस्पताल परिसर में रहने की अनुमति होगी। समस्त शासकीय एवं निजी स्वास्थ्य संस्थानों/मेडिकल कॉलेजों में रात्रि 8 बजे के पश्चात प्रवेश हेतु आवश्यकतानुसार ब्रीथ-एनालाइजर (श्वास परीक्षण यंत्र) का उपयोग किया जाये जिससे की नशे की अवस्था में कोई भी अवांछित व्यक्ति परिसर में प्रवेश नहीं कर सके।