जबलपुर शास्त्री ब्रिज मॉडर्न रोड पर स्थित मनोहर लाल बदलानी एवं पुत्र धर्मवीर बदलानी की प्रॉपर्टी स्थित है जिस पर की किराए पर ग्राउंड फ्लोर पर हल्दीराम का शोरूम, प्रथम तल पर कजरिया टाइल्स एवं सेकंड फ्लोर पर आईसीसी बैंक (होम लोन ब्रांच) स्थित है,
क्या है मामला
शास्त्री ब्रिज चौक पर में रोड पर स्थित बदलानी की आवैधानिक तरीके से बनाई गई प्रॉपर्टी का विगत दो वर्ष पूर्व नगर निगम जबलपुर ने नक्शा निरस्त कर दिया गया, निगम ने साफ शब्दों में कहा गया कि आप अपना अवैध निर्माण अलग कर लीजिए वरना निगम द्वारा अवैध निर्माण अलग किया जाएगा इसके जिम्मेवार आप स्वयं होंगे, लेकिन इस पर आज तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई और कब होगी इस पर निगम चुप क्यों है,
फायर एनओसी निरस्त किए जाने के बाद भी हल्दीराम का होटल कई गैस सिलेंडरों के साथ चल रहा है, एवं सभी किराएदार के ऑफिसेज पूर्ण रूप से चल रहे हैं, निगम द्वारा अनदेखी की जा रही है, आज तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई निगम ने सादी चुप्पी ऐसा क्यों?
प्रॉपर्टी एक फाइलें चल रही दो दो दिनांक = 13/07/2016 में निगम की रिपोर्ट में साफ शब्दों में लिखा गया है कि आम पैसेज 10 फीट की जगह त्रुटि पूर्ण 15 फीट कर दिया गया है, उसे उसमें संशोधन किया जाए वह फाइल दबाकर रख दी गई,
और एक दूसरी फाइल में बिना किसी कागजों का सत्यापन मौके पर जाकर जांच किए बिना ही कॉमन पैसेज को फ्री होल्ड एवं लिज 15 फिट पर कर दी गई यह निगम है साहब, यह सब कुछ होता है,
दीपक सेठी ने बताया कि विगत 60 से 70 वर्षों का रिकॉर्ड आरटीआई के तहत नगर निगम से निकलवाया गया, जिसमें की करीब 2200 से अधिक पेज का रिकॉर्ड मेरे पास है, मैं उस रिकॉर्ड के आधार पर ही निगम पर इतना ज्यादा लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा गया कि मेरा अगर एक भी कथन गलत है, तो मैं निगम के हर चैलेंज का जवाब देने के लिए तैयार हूं अगर मैं किसी भी तरीके की कोई आपको गलत जानकारी दी है तो आप मुझ पर ( एफ आई आर ) दर्ज कर मुझे जेल भेज सकते हैं, इतने कड़े शब्दों में कहां गया यह वाक्य उनका दर्द बयान करता है,
तारीख में तारीख तारीख में तारीख आखिर कब तक यह दर्द सहता रहूं
सेठी का कहना यह भी है मेरे आवेदन के अपर आयुक्त एवं पांच सदस्य टीम द्वारा 6 माह करीब में पूर्णतः कागज एवं मौके पर नपाई करके कागजों का सत्यापन कर पूरी जांच रिपोर्ट पेश की गई, इसके बाद नगर निगम कमिश्नर जबलपुर ने उन्हें कई बार पिछले विगत चार महीना से आश्वासन दिया कि बस आपकी फाइल मुझे देखनी है, 3 से 4 दिन में आपका काम हो जाएगा, फिर नेक्स्ट जवाब मिलता है बस एक हफ्ते में आपका जवाब मिल जाएगा, तारीख में तारीख कब तक सुनेगा एक सीमा होती है हताश हो चुका हूं मैं इस तरीके की भर्राशाही को देखकर, आखिर एक बड़े अधिकारी की तो एक जवान की कीमत होनी चाहिए,
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया चैनल पर प्रश्न पूछे जाने पर सेठी ने बताया कि अगर किसी राजनेता का दबाव है तो वह भी सामने आना चाहिए, और अगर निगम के अधिकारी के साथ कोई साथ गांठ है तो इस पर भी जांच होना चाहिए,
सेठी ने बताया कि मेरे लिए सारे दरवाजे खुले हुए हैं मैं तो यह देखना चाहता हूं कि एक आम नागरिक की निगम कहां तक सुनता है, एक काम का पूर्ण करने में निगम कितना अधिक से अधिक समय लेता है,
आने वाले समय पर मैं हाईकोर्ट भी जा सकता हु, एवं सीबीआई जांच की भी मैं मांग कर सकता हूं, इस पर जो भी दोषी होगा उसे सजा मिलनी चाहिए, ताकि शहर में इस तरीके का अवैध काम करने वालों पर अंकुश लग सके और निगम की साख बरकरार बनी रहे,