इंदौर। इंदौर स्थित आईटी और बीपीओ कंपनी टास्कस में बुधवार रात उस वक्त हंगामा मच गया, जब कंपनी ने 300 से अधिक कर्मचारियों को प्रोजेक्ट बंद होने और जांच के नाम पर नौकरी से निकाल दिया। इसके बाद कर्मचारियों ने कंपनी के बाहर प्रदर्शन किया।
कंपनी ने इस कदम को नियमों और एग्रीमेंट के आधार पर सही ठहराया। हालांकि, कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि कंपनी नियमित तौर पर किसी न किसी बहाने से सैकड़ों कर्मचारियों को प्रोजेक्ट खत्म होने पर नौकरी से निकाल देती है। इस बार भी, कंपनी ने जांच के नाम पर उन्हें निकाला। कर्मचारियों का कहना है कि कंपनी फर्जीवाड़े के आरोपों का सहारा लेकर उन्हें सजा दे रही है, जबकि उनका कोई दोष नहीं था।
कई कर्मचारी रोते हुए एचआर विभाग से नौकरी पर वापस रखने की गुहार लगाते नजर आए, लेकिन कंपनी ने केवल नियमों का हवाला देकर उन्हें चलता कर दिया। जब प्रदर्शन बढ़ा और मामला उग्र हुआ, तो कंपनी ने सुरक्षा टीम को बुलाया और खजराना पुलिस को मौके पर लाया। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को कंपनी परिसर से बाहर किया और कहा कि वे थाने में शिकायत दर्ज कराएं।
इस अचानक नौकरी से निकालने के बाद कर्मचारियों की स्थिति गंभीर हो गई है। कर्मचारी अभिनव ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि इस संकट में वे और उनके जैसे कई लोग गंभीर आर्थिक और मानसिक परेशानी का सामना कर रहे हैं। घर का खर्च, ईएमआई और परिवार की जिम्मेदारियां अब उनके लिए चुनौती बन गई हैं। कुछ कर्मचारियों ने अपनी स्थिति को इतना गंभीर बताया कि उन्होंने आत्महत्या तक के विचार किए।
एक अन्य कर्मचारी मानसी ने बताया कि उनकी टीम एक बिटकॉइन कंपनी के लिए काम कर रही थी, लेकिन टीम के दो लोगों के द्वारा किए गए फर्जीवाड़े के कारण पूरा प्रोजेक्ट प्रभावित हुआ। इसके बाद एचआर ने सभी कर्मचारियों को एक मैसेज भेजकर ऑफिस न आने की सूचना दी और उनके पहचान पत्र व अन्य सामान जमा करने को कहा। कंपनी ने 8.1 एग्रीमेंट का हवाला देते हुए 13 दिन का नोटिस दिया, जबकि नियमानुसार 90 दिन का नोटिस दिया जाना चाहिए था। कर्मचारियों का कहना है कि उन्होंने कोई गलती नहीं की, लेकिन फर्जीवाड़े के आरोप में उन्हें सजा मिल रही है।