भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल कांग्रेस के कई पूर्व मुख्यमंत्रियों की लिस्ट में अशोक चव्हाण भी शामिल हो गए हैं।
लिस्ट में शामिल नेताओं पर नजर डालें तो उन्हें अपनी विचारधारा बदलने का लाभ नहीं मिला है।
आपको बता दें कि बीजेपी में शामिल होने वाले कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्रियों में अमरिंदर सिंह, दिगंबर कामत, एसएम कृष्णा, विजय बहुगुणा, एन किरण रेड्डी, एनडी तिवारी, जगदंबिका पाल और पेमा खांडू जैसे नेता शामिल हैं।
पेमा खांडू के आने से अरुणाचल प्रदेश में बीजेपी को फायदा मिला है। भगवा पार्टी को इस राज्य में बहुमत हासिल हुआ और खांडू लगातार मुख्यमंत्री बने हुए हैं।
एनडी तिवारी के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अपने बेटे के भविष्य को ध्यान में रखते हुए भाजपा का दामन थामा था। इसके तुरंत बाद उनकी मृत्यु हो गई। कर्नाटक की राजनीति की जटिलताओं और ढलते उम्र की वजह से एसएम कृष्णा भी सियासी तौर पर निष्क्रिय हो गए।
कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह भी अब कम सक्रिय दिखते हैं। ऐसा माना जाता है कि वह अपनी राजनीतिक विरासत अपनी बेटी को सौंपना चाहते हैं।
इसलिए उन्होंने अपनी विचारधारा बदली। विजय बहुगुणा इस मामले में भाग्यशाली साबित हुए हैं। भाजपा उत्तराखंड में जब सत्ता में लौटी तो उनके बेटे को धामी कैबिनेट में जगह भी मिली।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह और त्रिपुर के सीएम माणिक साहा की अलग कहानी है। कहा जाता है कि कांग्रेस ने सरमा को सीएम बनाने के वादा किया था।
हालांकि, जब मौका आया तो अपने वादे से पलट गई। कांग्रेस ने तरुण गोगोई को सीएम पद पर जारी रखा। इसके बाद सरमा ने बगावत कर दी और असम में बीजेपी के लिए सत्ता का दरवाजा खोल दिया। बीजेपी ने सर्बानंद सोनोवाल के बाद हिमंत सरमा को असम की कमान सौंप दी। आज के समय में वह बीजेपी के फायरब्रांड नेता बन चुके हैं।
बीरेन सिंह ने भी कांग्रेस से किनारा कर लिया और प्रदेश में बीजेपी के विस्तार में मदद की। 2017 में मणिपुर में भगवा पार्टी को बहुमत मिला। उन्हें सीएम बनाया गया।
मणिपुर में जब हिंसा भड़की तो सीएम को हटाने की मांग हुई, लेकिन बीजेपी ने बिरेन सिंह पर भरोसा कायम रखा। माणिक साहा को सीएम बनने के लिए इंतजार करना पड़ा। त्रिपुरा में लंबे समय तक लेफ्ट की सरकार थी। बीजेपी जब सत्ता में आई तो बिप्लब कुमार देब को सीएम बनाया गया। बाद में माणिक साहा सीएम बने।
पूर्व मुख्यमंत्रियों के अलावा कांग्रेस और दूसरे दलों के दिग्गज नेता भाजपा में शामिल हुए। इनमें राहुल गांधी के पूर्व सहयोगी और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, आरपीएन सिंह और जितिन प्रसाद शामिल हैं।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार गिराने में कामयाब रहे सिंधिया को केंद्रीय मंत्री बनाया गया। वहीं, जतिन प्रसाद यूपी की सरकार में मंत्री हैं। आरपीएन को हाल ही में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया गया है।
ऐसे में कहा जा सकता है कि बीजेपी में शामिल होने वाले कांग्रेसी नेताओं की लंबी सूची में से हिमंत सरमा और ज्योतिरादित्य सिंधिया को सबसे ज्यादा फायदा हुआ है। सिंधिया ने 2023 में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में कई समर्थकों टिकट दिलाने में भी सफलता हासिल की।
इसके अलावा, हिमंत सरमा भाजपा के फायरब्रांड प्रचारक के साथ-साथ दक्षिण के साथ-साथ पूर्वोत्तेर के राज्यों में भगवा पार्टी के लिए संकटमोचक साबित हो रहे हैं।