अमेरिका के सांसदों का एक समूह दो दिनों के धर्मशाला दौरे के लिए भारत में है।
इस दौरान अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य तिब्बत के आध्यामिक गुरु दलाई लामा से मुलाकात करेंगे। लगभग 2 साल पहले ताइवान का दौरा करके सुर्खियों में आई अमेरिकी कांग्रेस की पूर्व स्पीकर नैन्सी पेलोसी भी इस समूह का हिस्सा हैं।
यह दल यूएस हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी के अध्यक्ष माइकल मैककॉल के नेतृत्व में धर्मशाला का दौरा कर रहा है।
मैककॉल और पेलोसी के अलावा, प्रतिनिधिमंडल में अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य, मैरिएनेट मिलर, ग्रेगरी मीक्स, निकोल मैलियोटैकिस, जिम मैकगवर्न और एमी बेरा शामिल हैं। पेलोसी ने अगस्त 2022 में ताइवान का दौरा किया था और चीन ने अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल की वहां यात्रा की तीखी आलोचना की थी।
धर्मशाला के गग्गल एयरपोर्ट पर पहुंचने के बाद, मैककॉल ने इस दौरे के बारे में बताया, “हम हिज होलीनेस दलाई लामा से मिलने और कई चीजों के बारे में बात करने के लिए उत्साहित हैं। इसमें कांग्रेस द्वारा पारित विधेयक भी शामिल है, जिसमें मूल रूप से कहा गया है कि अमेरिका तिब्बत के लोगों के साथ खड़ा है।”
मैककॉल ने कहा है कि राष्ट्रपति जो बाइडेन इस विधेयक पर हस्ताक्षर जरूर करेंगे। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (CTA) के उच्च-स्तरीय अधिकारियों ने हवाई अड्डे पर कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया।
धर्मशाला तिब्बत की निर्वासित सरकार की सत्ता का केंद्र है, जब से दलाई लामा छह दशक पहले भारत में आए थे।
किसी भी बाहरी हस्तक्षेप की अनुमति नहीं: चीन
इस बीच चीन को यह दौरा नगावार गुज़र रहा है। बीजिंग में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने बाइडेन से अमेरिकी सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव दोनों द्वारा पारित हो चुके बायपार्टीशन तिब्बत पॉलिसी बिल पर हस्ताक्षर न करने के लिए कहा है। वाशिंगटन में मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, विधेयक को कानून बनाने के लिए बाइडेन के हस्ताक्षर का इंतजार है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पिछले बुधवार को अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव ने तिब्बत-चीन विवाद के लिए इस बिल को मंजूरी दी थी।
इस बिल को सीनेट से पहले से पास करा लिया गया था। साथ ही यह विधेयक तिब्बत के इतिहास, लोगों और संस्थानों के बारे में बीजिंग द्वारा फैलाई जा रही “भ्रामक सूचना” का मुकाबला करने के लिए धनराशि मुहैया कराएगा।
इस विधेयक का उद्देश्य तिब्बत पर अपने नियंत्रण के बारे में चीन के बयान का मुकाबला करना और चीनी सरकार और दलाई लामा के बीच संवाद को बढ़ावा देना है।
नई दिल्ली में चीनी दूतावास ने अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के दौरे पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने अमेरिकी पक्ष से “शिजांग को चीन का हिस्सा मानने और “शिजांग की स्वतंत्रता” का समर्थन न करने की अपनी प्रतिबद्धताओं का पालन करने” का अपील की है। चीन आधिकारिक तौर पर तिब्बत को शिजांग के नाम से संबोधित करता है।
चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने ट्वीट किया, “चीन अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों की दृढ़ता से रक्षा करने के लिए दृढ़ कदम उठाएगा।” प्रवक्ता ने कहा, “यह सभी जानते हैं कि 14वें दलाई लामा कोई विशुद्ध धार्मिक व्यक्ति नहीं हैं, बल्कि धर्म की आड़ में चीन विरोधी अलगाववादी गतिविधियों में लिप्त एक राजनीतिक निर्वासित व्यक्ति हैं। हम अमेरिकी पक्ष से दलाई समूह की चीन विरोधी अलगाववादी प्रकृति को पहचानने, शिजांग से संबंधित मुद्दों पर चीन से की गई अमेरिका की प्रतिबद्धताओं का सम्मान करने और दुनिया को गलत संकेत भेजना बंद करने का आग्रह करते हैं।”
चीनी दूतावास ने कहा, “शिजांग हमेशा चीन का हिस्सा रहा है। शिज़ांग के मामले पूरी तरह से चीन के घरेलू मामले हैं और किसी भी बाहरी हस्तक्षेप की कभी अनुमति नहीं दी जाएगी। किसी भी व्यक्ति और किसी भी ताकत को कभी भी शिजांग की शांति को भंग करने और चीन को नियंत्रित करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। ऐसे प्रयास कभी सफल नहीं होंगे।” इस ट्वीट में उन्होंने नैंसी पेलोसी को टैग भी किया।
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