समाजवादी पार्टी की नेता मारिया आलम सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कराने के आरोपों में घिर गई हैं और उनके खिलाफ केस दर्ज हुआ है।
मारिया आलम ने फर्रुखाबाद के कायमगंज में एक रैली को संबोधित करते हुए ‘वोट जिहाद’ शब्द का इस्तेमाल किया था। इसे लेकर सबसे ज्यादा आपत्ति जताई जा रही है।
मारिया आलम ने मुस्लिम समुदाय के लोगों से अपील करते हुए कहा था कि भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए आपको ‘वोट जिहाद’ करना होगा।
मारिया आलम के साथ ही इस मामले में सलमान खुर्शीद भी घिर गए हैं, जो उस वक्त मंच पर थे। बता दें कि मारिया आलम रिश्ते में खुर्शीद की भतीजी लगती हैं। एफआईआर में खुर्शीद का नाम भी शामिल है।
दोनों पर आईपीसी के सेक्शन 188 और 295A के तहत केस दर्ज हुआ है। मारिया आलम ने मुस्लिमों से विवादित अपील करते हुए कहा था, ‘साथ मिलकर वोट जिहाद करिए। समझदारी से और चुपचाप फैसला लें।
भावनाओं में न बहें। भाजपा को सत्ता से बाहर करने का यही रास्ता है।’ यही नहीं मानवता पर खतरे की बात करते हुए मारिया आलम ने कहा था, ‘लोग कहते हैं कि संविधान और लोकतंत्र खतरे में हैं। लेकिन मैं कहती हूं कि इंसानियत ही खतरे में आ गई है।’
उन्होंने कहा कि यदि आपको देश की खूबसूरती एवं संस्कृति को बचाना है तो फिर समझदारी से फैसला लेना होगा। किसी के प्रभाव नहीं आना है।
मारिया आलम के बयान में वोट जिहाद के जिक्र ने एक नया मुद्दा दे दिया है। अब तक लव जिहाद और लैंड जिहाद की ही चर्चा होती थी।
अब चुनावी सीजन में वोट जिहाद नया मुद्दा मिल गया है। ऐसे मामलों को भाजपा एवं अन्य कई संगठनों की ओर से लव जिहाद बताया जाता रहा है, जिसमें मुस्लिम युवक किसी अन्य धर्म की युवती से शादी कर ले और फिर उसका मजहब बदलवा दिया जाए।
इसके अलावा कथित लैंड जिहाद की चर्चा भी बीते कुछ सालों में उठी थी। लेकिन अब मारिया आलम ने खुद ही अपने भाषण में वोट जिहाद जैसे नए शब्द का इस्तेमाल किया है। इससे भाजपा को एक नया मुद्दा विपक्ष को घेरने के लिए मिल गया है।
सपा की नेता मारिया आलम ने अपने भाषण में उन मुसलमानों तक के बहिष्कार की बात कही थी, जो भाजपा का समर्थन करते हैं।
अब इस पर मारिया की सफाई आई है। मारिया ने कहा, ‘मैं चुनाव प्रचार में थी और अपने समुदाय के बीच थी।
वोटिंग प्रतिशत कम हो रहा है। इसलिए मैंने जिहाद शब्द का इस्तेमाल किया, जिसका अर्थ संघर्ष होता है। मैं नहीं जानती कि आप लोगों ने मेरी बात का क्या मतलब निकाल लिया।’